वाराणसी: धर्म और संस्कृति की नगरी काशी में जहां एक तरफ भगवान शिव का वास है तो वहीं भगवान पार्श्वनाथ के साथ ही आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली भी वाराणसी में ही है। वाराणसी में 17 करोड़ रुपए की लागत से इको फ्रेंडली भव्य घाट बन रहा है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर अब चंद्रप्रभु जी की जन्मस्थली चंद्रावती गांव में पक्के गंगा घाट का निर्माण कराया जाएगा। इस घाट की लंबाई 200 मीटर से ज्यादा होगी। साथ ही यहां पर पर्यटन के हब भी विकसित होंगे। गंगातट पर जैन तीर्थंकर को समर्पित यह घाट पर्यटन और सुकून का हब बनेगा। योगी आदित्यनाथ की सरकार अब जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभुजी के चार कल्याणकों (च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवल्यज्ञान) के स्थान का कायाकल्प करने में जुटी है।
मुख्यालय से 23 किलोमीटर दूर
इसकी दूरी वाराणसी मुख्यालय से करीब 23 किलोमीटर दूर होगी। यह वाराणसी से गाजीपुर हाइवे पर चंद्रावती गांव में बन रहा है। यहीं पर गंगा किनारे 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभुजी की जन्मस्थली है। यहां भगवान चंद्रप्रभुजी का श्वेताम्बर और दिगंबर जैन मंदिर है। टॉयलेट ब्लॉक, पोर्टेबल चेंजिंग रूम, साइनेजेस, पार्किंग, हेरिटेज लाइट, बैठने के लिए पत्थर के बने बेंच होंगे। पत्थरों से बनी जालीनुमा खूबसूरत रेलिंग लगाई जाएगी। साथ ही बागवानी भी होगी। घाट का निर्माण 2024 तक हो जाएगा।
हर साल आते हैं लाखों जैन श्रद्धालु
पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि जैन धर्म को मानने वाले देश-विदेश से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। घाट के पुनरुद्धार व सुविधाओं के बढ़ जाने से आने वाले समय में ये स्थान तीर्थाटन का बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। आने वाले समय में इस घाट को पानी के रास्ते भी जोड़ने की योजना है। जिससे बोट या क्रूज़ से पर्यटन यहां पहुंच सके। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में पर्यटन के नए केंद्र के रूप में ये जगह विकसित होगी जिसका लाभ पर्यटन उद्योग को भी मिलेगा।