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Manipur Violence : मणिपुर के दो निवासियों ने एक महीने पहले शुरू हुई जातीय हिंसा के कारण बार-बार इंटरनेट पर प्रतिबंध के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को मणिपुर (Manipur) में लागू इंटरनेट शटडाउन (Manipur Internet Shut Down) को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय पहले ही इस मामले की सुनवाई कर रहा है, इसलिए कार्यवाही को दोहराने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील शादन फरासत को मणिपुर उच्च न्यायालय की नियमित पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख करने के लिए कहा.

दो लोगों की ओर से दायर की गई यह याचिका

जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर (Manipur Violence) में इंटरनेट पर लगातार जारी प्रतिबंध के खिलाफ राज्य के दो लोगों की ओर से यह याचिका दायर की गई थी. याचिका के मुताबिक, इंटरनेट पर प्रतिबंध से राज्य के निवासियों ने भय, चिंता, लाचारी और हताशा का अनुभव किया। वे अपने प्रियजनों या कार्यालय के सहयोगियों के साथ संवाद करने में असमर्थ हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि अफवाह फैलाने और गलत सूचना के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से इंटरनेट का लगातार निलंबन दूरसंचार निलंबन नियम 2017 द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक नहीं है। 

10 जून तक बढ़ा इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध

गौरतलब है कि मणिपुर सरकार ने मंगलवार को इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध 10 जून तक बढ़ा दिया है। गृह विभाग के आयुक्त एच ज्ञान प्रकाश द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि ब्रॉडबैंड सहित मोबाइल डेटा सेवाओं का निलंबन 10 जून की दोपहर तीन बजे तक बढ़ा दिया गया है। राज्य में यह प्रतिबंध तीन मई को लगाया गया था।

क्या था पूरा विवाद

गौरतलब है कि मणिपुर में जातीय हिंसा में करीब 100 लोगों की जान गई है और 310 अन्य घायल हो गए। इतना ही नहीं, कुल 37,450 लोग वर्तमान में 272 राहत शिविरों में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। राज्य में मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद 3 मई को पहली बार झड़पें हुईं थीं। इसके बाद जब ये हिंसा शांत नहीं हुई तो राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवानों को तैनात किया गया है।

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