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Varanasi News: ज्ञानवापी केस में अब एक नया मोड़ सामने आया है। ज्ञानवापी-मां शृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी राखी सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की मांग की थी। परन्तु गुरुवार को दिल्ली में भदरी राजपरिवार के उदय प्रताप सिंह से मुलाकात के बाद राखी सिंह ने अपना निर्णय बदल दिया। राखी के चाचा और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने बताया कि उनके आवास पर आकर उदय प्रताप सिंह ने आश्वस्त किया है कि ज्ञानवापी से जुड़े मुकदमों की कमान अब वह खुद संभालेंगे। इसके अलावा देश के अन्य राजपरिवार भी सनातन धर्म से जुड़े इस महत्वपूर्ण मसले पर एकजुटता के साथ राखी सिंह के साथ खड़े रहेंगे।

65 वकीलों की टीम तैयार होगी

दिल्ली में विसेन के आवास पर जाकर उदय प्रताप सिंह ने परिवार से मुलाकात कर ज्ञानवापी प्रकरण पर शुक्रवार को करीब 2 घंटे तक चर्चा की। उदय प्रताप आज भी वहीं पर हैं और कहा कि ज्ञानवापी केस को मजबूती के लिए जिला कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को मिलाकर 65 विद्वान वकीलों की टीम तय की जाएगी।

हम मानसिक दबाव झेल रहे हैं

राखी स‍िंह ने कहा, ”मुझे और मेरे परिवार को बदनाम किया जा रहा है। इसमें शासन व प्रशासन के लोग भी शामिल हैं। झूठा प्रचार किया गया कि मैं, मुकदमा वापस लेना चाहती हूं। हम मानसिक दबाव झेल रहे हैं। अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।” वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस मामले को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है।

राखी ने पत्र में ल‍िखी ये बातें  

राखी सिंह ने बीते मंगलवार को एक पत्र जारी किया था। राखी के अनुसार, वह मां शृंगार गौरी से संबंधित मुकदमे की मुख्य वादिनी हैं। मई 2021 से मुकदमे से जुड़ी उनकी सहयोगी महिलाओं और अधिवक्ता पिता-पुत्र के अलावा कुछ लोग उनके चाचा जितेंद्र सिंह विसेन और चाची किरन सिंह विसेन के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। इस काम में शासन-प्रशासन के कुछ लोग भी शामिल हैं। मई 2022 में उन्हीं लोगों ने झूठा प्रचार किया कि राखी सिंह शृंगार गौरी का मुकदमा वापस ले रही हैं, जबकि ऐसी कोई बात उनकी ओर से नहीं कही गई थी। उन्हें और उनके परिवार को हिंदू समाज में लगातार गद्दार घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है।

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