लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एलडीए की सीमा से सटे इलाकों में तेजी से विकसित हो रही अनियोजित कालोनियों पर लगाम लगाने के लिए अब बिना लेआउट वाली प्लाटिंग की रजिस्ट्री नहीं होगी। कृषि भूमि को आवासीय कराने के बाद विकास करता को उसका पूरा लेआउट बनाकर एलडीए तहसील सब–रजिस्ट्रार ऑफिस में जमा कराना होगा। इसके बाद ही प्लाटिंग की जा सकेगी इस संबंध में डीएम सूर्यपाल गंगवार ने निर्देश जारी कर दिया है।
उन्होंने कहा कि तय योजना के मुताबिक लेआउट पास हो या ना हो लेकिन किसी आर्किटेक्ट से लेआउट बनवाकर उसे तहसील में जमा करना होगा। फिर इस लेआउट के मुताबिक ही प्लानिंग करनी होगी रजिस्ट्री कराने के लिए इस लेआउट की कॉपी भी लगानी होगी ऐसा नहीं होगा तो रजिस्ट्री रोक दी जाएगी।

योजना के अगले चरण में तहसीलों में हो रही प्लाटिंग की जियो टैगिंग कराई जाएगी ताकि यहां प्लाट खरीदने वाले घर बैठे भी इसकी जानकारी ले सकें उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि डिवरों की ओर से अपनी संपत्ति अधिक दिखा कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करा दी जाती है।
डिजिटल सिस्टम बनाकर भूखंडों को किया जाएगा सुरक्षित
डीएम ने बताया कि ऐसा डिजिटल सिस्टम बनाया जा रहा है जिससे भूखंड की बाउंड्री के रूप में जियो कॉर्डिनेट्स का इस्तेमाल होगा। इससे पता चल सकेगा कि किस जमीन की रजिस्ट्री कराई जा रही है इसी से जमीन के नजरिए नक्शे पर सैटेलाइट इमेज भी सुपर इंपोज होगी। इसकी कॉपी रजिस्ट्री के साथ जिओ कोऑर्डिनेटर संग लगेगी। इससे एक ही जमीन की दो या अधिक रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी सरकारी जमीन को भी इससे सुरक्षित किया जा सकेगा।
पूरे लखनऊ में चल रहा है फर्जीवाड़ा
इस वक्त पूरे लखनऊ में बिना लेआउट स्वीकृत कराए प्लाट बेचने का फर्जीवाड़ा चालू है जिला प्रशासन इसे रोकने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने की कवायद कर रहा है। मौजूदा समय में 550 से अधिक अनियोजित कालोनियां शहर में बस चुकी है 1,000 से अधिक छोटी-बड़ी कॉलोनियों के अविकसित इलाकों में प्लाटिंग कर भूखंड बेचे जा रहे हैं। आउटर रिंग रोड के आस पास सबसे अधिक प्लाटिंग हो रही है इसे देखते हुए अनियोजित कॉलोनीयों व इन्हें बसाने वालों पर जिला प्रशासन कड़ी नजर बनाए हुए हैं
पांच साल में विकास नहीं हुआ तो अनुमति निरस्त
जिला अधिकारियों ने कहा कि कृषि से गैर कृषि उपयोग के लिए धारा 80 में भू उपयोग परिवर्तन की अनुमति जरूरी होती है इसमें नियम है कि 5 साल के भीतर विकास कार्य पूरा हो जाए ऐसा नहीं कराया तो धारा 80 की प्रक्रिया से अनुमति समाप्त कर दी जाएगी इसका असर यह होगा कि बिल्डर को लेआउट स्वीकृत कराने के साथ पूर्णता प्रमाण पत्र भी लेना होगा। एलडीए और जिला पंचायत से भी इसके लिए सख्ती कराई जाएगी।