Varanasi News : आज सावन का 5वां सोमवार है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में बाबा का आज रात आरती के बाद तपस्यारत पार्वती श्रृंगार होगा। सावन के हर सोमवार अलग रूप शृंगार के मान-विधान के तहत अबकी पहली बार इस तरह का शृंगार किया जा रहा है। इसके पीछे का कारण यह कि हर साल सावन में चार या पांच सोमवार होते थे, लेकिन इस बार अधिक सावन मास के कारण आठ सोमवार पड़ रहे हैं। ऐसे में मंदिर प्रशासन की ओर से तीन और शृंगार का प्रविधान किया गया।

मंगला आरती के बाद से आठ बजे तक ढाई लाख से ज्यादा भक्तों ने शीश नवाया। काशी विश्वनाथ के दर्शन पूजन के लिए रविवार से ही श्रद्धालुओं की कतार लगने लगी थी। मध्यरात्रि के बाद श्रद्धालु कतारबद्ध होने लगे थे। रविवार को शयन आरती तक तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। गर्भगृह के बाहर से झांकी दर्शन मिल रहा है। वहीं, पाइप के द्वारा ही दूध, जल और फूल आदि बाबा के ज्योर्तिलिंग को अर्पित किए जा रहे हैं। भक्त जिस द्वार से प्रवेश कर रहे हैं, उसी से बाहर भी आ रहे।
बाबा का अलग-अलग रूपों में किया जा रहा श्रृंगार

इस सावन में 8 सोमवार और 2 पूर्णिमा पड़ रहे हैं। जिसमें 4 सोमवार और 1 पूर्णिमा समाप्त हो चुके हैं। इस पूरे 10 दिन तक बाबा का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जा रहा है। अभी तक 5 श्रृंगार चल प्रतिमा, गौरी शंकर, अमृत वर्षा श्रृंगार, भागीरथी श्रृंगार और पूर्णिमा श्रृंगार हो चुके हैं। अभी 5 श्रृंगार होने बाकी हैं।
मंगला आरती का कटेगा टिकट
आज श्रीकाशी विश्वनाथ प्रशासन के आदेश के मुताबिक, सोमवार को मंगला आरती के अलावा किसी भी तरह की आरती की टिकट नहीं कटेंगी। स्पर्श दर्शन पर रोक रहेगा। बाकी दिन नियमत: से ज्योतिर्लिंग को छू सकेंगे। आज VIP और सुगम दर्शन नहीं कराया जाएगा। जो भक्त आएंगे, वो कतार में ही लगकर दर्शन करेंगे।
बोल-बम और महादेव की गूंज रही प्रतिध्वनियां
सभी चल पड़े बाबा विश्वनाथ दरबार। नतीजा रविवार को ही हर गली-हर सड़क का गंतव्य मानो एक ही बन गया था। हर ओर कांवरियों व श्रद्धालुओं की भीड़, बोल-बम, हर-हर महादेव का उद्घोष करते, कंधे पर कांवर लादे, केसरिया बाना पहने चली जा रही थी। मैदागिन से शिवाला तक, रथयात्रा से गिरजाघर चौराहे तक, दशाश्वमेध घाट से गोदौलिया तक व भेलूपुर से गिरजाघर तक और फिर चारों द्वारों, गलियाें से लेकर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम तक सिर्फ भक्तों की भीड़, अपार कतार और गंगा तट से मंदिर तक एकाकार हो उठा।