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Supreme Court On Manipur Violence : मणिपुर हिंसा के मामले को लेकर सोमवार (7 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी करने को तैयार हो गया है. कोर्ट ने हिंसा मामलों की जांच की निगरानी महाराष्ट्र के पूर्व IPS अफसर दत्तात्रेय पद्सालजिलकर को सौंपी है. महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच CBI ही करेगी, लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए  सीबीआई में दूसरे राज्यों से DySP  रैंक के  5-5 अफसर लेने का फैसला किया गया है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के 3 जजों की कमेटी मणिपुर में जाकर राहत और पुर्नवास देखे. कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी कोशिशें की जानी चाहिए, ताकि राज्य के लोगों में विश्वास और कानून के शासन में भरोसा लौट सके. जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रहीं गीता मित्तल इस कमेटी की हेड रहेंगी. कमेटी की दो अन्य सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) शालिनी पी जोशी और जस्टिस (रिटायर्ड) आशा मेनन रहेंगी.

जिला स्तर पर गठित की जाएंगी एसआईटी

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन एसआईटी की अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी करेंगे। यह एसआईटी हिंसा की जांच करेगी। महिलाओं से संबंधित अपराधों की जांच के लिए सिर्फ महिला पुलिस अधिकारियों वाली एसआईटी गठित की जाएगी। डीआईजी और डीजीपी स्तर के पुलिस अधिकारी इन एसआईटी के कामकाज की निगरानी करेंगे। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मणिपुर में हालात काफी तनावपूर्ण हैं और ऐसे में कोई भी बाहर से निर्देशित जांच लोगों में विश्वास बढ़ाने में सहायक नहीं होगी। 

महिला अपराधों की जांच करेगी सीबीआई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी 12 मामलों की जांच करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े अन्य मामले भी जांच के दौरान सामने आए तो उनकी जांच भी सीबीआई द्वारा की जाएगी। वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि भारत म्यांमार सीमा पर कई उग्रवादी संगठन मौजूद हैं और ये विदेशी उग्रवादी हथियारों से लैस हैं। मुख्य मुद्दा पोस्ता की खेती का है, जिससे उन्हें फंडिंग होती है। ये उग्रवादी सीमा के इधर-उधर आ जा सकते हैं। यह एक समुदाय की बात नहीं है बल्कि इससे सभी प्रभावित हैं। 

“सुनवाई से पहले कुछ घटना हो जाती है”

इसपर अटॉर्नी ने कहा कि उनको निहित स्वार्थी तत्वों की तरफ से रोका जा रहा है, ताकि सरकार को विफल बताया जा सके. स्थितियां जानबूझकर जटिल बनाए रखने की कोशिश है. वहीं सॉलिसीटर ने कहा कि दो दिन पहले भी एक वारदात हुई है. हर बार सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले कुछ घटना हो जाती है.

सॉलिसीटर ने कहा कि कह नहीं सकते कि क्या यह वाकई संयोग है. मेरा अनुरोध है कि राज्य सरकार पर भरोसा करें. साथ ही, अगर आप कोई हाई पावर कमिटी बना रहे हैं तो उसमें पूर्व जजों को रखें, सामाजिक कार्यकर्ताओं को नहीं. 

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