RBI Policy: भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपनी मौद्रिक नीति (RBI Credit Policy) का एलान कर दिया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद गुरुवार को बताया कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. लोन लेने वालों के लिए ये राहत की खबर भी है लेकिन इसके बाद अब बैंकों से सस्ते लोन की आस लगाए बैठे लोगों को निराशा हाथ लगी है.

साथ ही उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है. यह साफ है कि अब किसी प्रकार का लोन में ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा. RBI ने FY24 में महंगाई का अनुमान 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया है। RBI गवर्नर ने कहा कि सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण जुलाई और अगस्त महीने में महंगाई बढ़ने की आशंका है।
एमपीसी के सभी सदस्य ब्याज दरों को स्थिर रखने के पक्ष में
उन्होंने बताया कि एमपीसी की बैठक के दौरान सभी सदस्य सर्वसम्मति से ब्याज दरों को स्थिर रखने के पक्ष में रहे। उन्होंने यह भी बताया कि ग्लोबल स्तर पर ब्याज दरें लंबे समय तक बनी रहेंगी। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्लोबल इकोनाॅमी में महंगाई और कर्ज की चुनौतियां कायम हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि दूसरे देशों की तुलना में भारत आर्थिक चुनौतियों से निपटने में अधिक सक्षम है।
भारतीय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाः आरबीआई गवर्नर
एमपीसी की बैठक के बाद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि हमारी अर्थव्यवस्था उचित गति से बढ़ती रही है और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और वैश्विक विकास में लगभग 15% का योगदान दे रही है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि FY 24 में सीपीआई 5.1% से बढ़कर 5.4% रहने का अनुमान है। आरबीआई के मुखिया ने कहा कि FY24 में जीडीपी 6.5% रह सकती है। वहीं FY25 में जीडीपी 6.6% रह सकती है। FY25 में सीपीआई 5.2% रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति का संचरण अब भी जारी है, क्योंकि हेडलाइन मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक बनी हुई है। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि एमपीसी मुद्रास्फीति को लेकर सतर्क रहेगी और मुद्रास्फीति को लक्षित स्तर पर लाने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी।
रेपो रेट में बदलाव न होने से लोन महंगे नहीं होंगे, EMI भी नहीं बढ़ेगी
RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।