Varanasi : गांधी-जेपी की विरासत के नाम से मशहूर वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के भवन पर शनिवार को आखिरकार बुलडोजर चल गया. शनिवार सुबह रेलवे और जिला प्रशासन की ओर से बुलडोजर के जरिए परिसर में बने भवनों को सुबह आठ बजे से ध्वस्त करना शुरू कर दिया गया। परिसर में एक स्कूल भी है जिसमे गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती थी, साथ ही महात्मा गांधी की मूर्ती भी इस परिसर में स्थापित है। रेलवे ने इस जमीन पर अपना अधिकार बताया है, जबकि इससे जुड़े रामधीरज ने बताया कि 1948 में सर्व सेवा संघ की स्थापना भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी। उसके बाद 1960 में यह जमीन ली गई.

ध्वस्तीकरण के दौरान सर्व सेवा संघ के संयोजक रामधीरज समेत बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने मुख्य द्वार के पास बैठकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कार्रवाई से आक्रोशित गांधीवादी सड़क पर लेट गए। पुलिसकर्मियों से नोकझोंक शुरू हो गई। हंगामा बढ़ा तो पुलिस ने सात लोगों को हिरासत में ले लिया। परिसर में एक डाक घर भी है। इसे गिराने के लिए रविवार तक की मोहलत दी गई है। आज उसका सामान शिफ्ट किया जा रहा है।
पदाधिकारियों ने लोगों से की इमोशनल अपील
सर्व सेवा संघ और कई दलों के लोग राजघाट स्थित परिसर के पास आज सुबह में पहुंचे थे। पदाधिकारियों ने अपील करते हुए कहा, देशभर के लोग एक अंतिम प्रयास करें, गांधी-विनोबा भावे की विरासत बचाने के लिए यहां पर पहुंचे। इस बिल्डिंग को बचाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत कई नेताओं ने आवाज उठाई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका खारिज होने के बाद प्रशासन आज इन बिल्डिंग्स को ढहा रहा है।
हाल ही में कब्जा मुक्त हुआ था सर्व सेवा संघ भवन और परिसर
सर्व सेवा संघ और कई दलों के लोग राजघाट स्थित परिसर के पास पहुंच गए हैं। परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध है। हाल ही जिला प्रशासन और रेलवे ने सर्व सेवा संघ भवन और परिसर को कब्जा मुक्त कराया था। तभी से इस बात की संभावना थी कि बुलडोजर किसी भी दिन चल सकता है। सर्व सेवा संघ के पास राजघाट पर 8.07 एकड़ जमीन है। बड़ा भवन है। इसमें करीब 50 आवास बने हैं। चार संग्रहालय भी हैं। संघ के जमीन पर मालिकाना का हक दावा जिलाधिकारी कोर्ट ने खारिज कर दिया था, तभी रेलवे
रेलवे के हक में आया था फैसला
सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक का विवाद चल रहा था। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की कोर्ट को जल्द फैसले लेने का आदेश दिया। जिलाधिकारी कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और उत्तर रेलवे के हक में फैसला दिया। संघ ने जिलाधिकारी के आदेश को पहले हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन निराशा हाथ लगी। राहत की याचिकाएं खारिज हो गईं। इसके बाद ही बुलडोजर की मदद से जमीन व भवन खाली कराने की चर्चा शुरू हो गई थी।