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Varanasi News : धर्म की नगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा है। काशी के 80 घाटों पर श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के लिए देर रात से ही इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। काशी में यह स्नान कुंभ का भान करा रहा है। सोमवार सुबह 4 बजे से ही वाराणसी के दशाश्वमेध समेत गंगा के 80 घाटों पर करीब 5 लाख श्रद्धालु गंगा स्नान कर चुके हैं। सभी घाटों खासकर दशाश्वमेध और राजेंद्र प्रसाद घाट पर आस्था का रेला उमड़ा है जहां सुबह होते ही स्नान, दीपदान, पूजा और अर्घ्य का सिलसिला शुरू हो गया है।

प्रसन्न होती हैं महालक्ष्मी

घाट पुरोहितों के अनुसार सनातन धर्म और संस्कृति में कार्ति पूर्णिमा का बहुत महत्त्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान की महत्ता पुराणों में वर्णित है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। घाट पुरोहितों ने बताया कि आज के दिन स्नान दान के बाद तुलिस के समीप या गंगा में दीप जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। देर शाम काशी में भाव दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

देशी-विदेशी फूलों से सजे घाट व मंदिर

देव दीपावली पर शहर के घाटों व मंदिरों की फूलों से सजावट की गई है। इसके लिए विदेशों से भी फूल मंगाए गए हैं। दो करोड़ रुपये से अधिक के देशी-विदेशी फूलों से मंदिरों व घाटों को सजाया जा रहा है। फूल मंडी के कारोबारियों के मुताबिक इस बार पिछले साल से 30 प्रतिशत ऑर्डर अधिक मिले हैं। दो करोड़ रुपये से अधिक के देसी-विदेशी फूलों की खपत होगी। 

एक लाख गाय के गोबर के दीप भी जलेंगे

काशी के घाटों और कुंडों पर गाय के गोबर से बने एक लाख से ज्यादा दीप जलेंगे। गंगा घाटों को तिरंगा स्पाइरल लाइटिंग थीम पर सजाया गया है। देव दीपावली पर आठ से नौ लाख पर्यटकों के शामिल होने का अनुमान है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को विशाखापट्टनम के एक भक्त 11 टन फूलों से सजा रहे हैं।

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