Varanasi : मां और बेटी का रिश्ता सभी रिश्तों से ज्यादा करीब और घनिष्ठ होता है। पर वाराणसी के लंका थानक्षेत्र के मदरवा इलाके में बुधवार की रत ऐसी घटना सामने आई जिससे लोगों की रूह कांप गई। यहां दो बेटियां अपनी मरी हुई मां के शव के साथ एक साल से रह रही थी। महिला का निधन 8 दिसंबर 2022 को बीमारी की वजह हुआ था, लेकिन दोनों बेटियों ने अंतिम संस्कार ही नहीं किया। महिला के शव को रजाई के अंदर छिपाकर रखा था। शव में कीड़े पड़े तो हाथ से निकालकर बाहर फेंक दिया। दुर्गंध उठने पर घर की छत पर जाकर खाना खाया।

रिश्तेदार आए तो घर में घुसने नहीं दिया। शक होने पर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस दरवाजा तोड़कर घर में घुसी। अंदर का नजारा देखकर सभी हैरान रह गई। अंदर के कमरे से भयानक बदबू आ रही थी। जबकि दोनों बेटियां घर में निश्चिंत होकर बैठी थीं।
बेटी बोली- पैसे नहीं थे, इसलिए नहीं किया अंतिम संस्कार
थानाध्यक्ष के मुताबिक, दोनों बेटियों ने बताया कि मां की मौत आठ दिसंबर 2022 को बीमारी के चलते हो गई थी। मां उल्टी करती थीं। पैसे और साधन के अभाव में शव का अंतिम संस्कार नहीं करा सके। बड़ी बेटी पल्लवी की उम्र 27 साल है। छोटी बेटी वैष्णवी 18 साल की है। पल्लवी मास्टर की डिग्री ले चुकी है, जबकि वैष्णवी हाईस्कूल की छात्रा है। दोनों बेटियों की मनोदशा ठीक नहीं है। फिलहाल दोनों को मिर्जापुर निवासी मौसी और मौसा के संरक्षण में दिया गया है। मौसा धर्मेंद्र की तहरीर पर ऊषा के कंकाल का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।

पति से था विवाद, पिता ने बनवाकर दिया था घर
बलिया के उभांव थानाक्षेत्र के होलपुर रचौली निवासी रामकृष्ण पांडये की तीन बेटियों में उषा तिवारी (52) सबसे बड़ी थीं। उसकी शादी बेल्थरा रोड के देवेश्वर त्रिपाठी से हुई थी। शादी के दस साल बाद किसी बात को लेकर पति पत्नी में विवाद हुआ तो उषा अपनी दोनों बेटियों के साथ पिता के घर आ गईं। पिता ने उन्हें वाराणसी के मादरवां में मकान बनाकर दिया उनके साथ ही रहने लगे। पिता ने उषा को कॉस्मेटिक की सुकन भी खोलकर दी पर कोरोना काल में वह बंद हो गई। लाॅकडाउन में जब दुकान बंद हो गई तो रामकृष्ण पांडेय अपनी छोटी बेटी के यहां लखनऊ रहने चले गए। इसके बाद बेटी से फोन पर ही बात होने लगी।

रामकृष्ण की दूसरी बेटी उपासना की शादी मिर्जापुर में हुई है। मिर्जापुर में रहने वाली उपासना और उसके पति धर्मेंद्र चतुर्वेदी की लंबे समय से ऊषा से बात नहीं हुई थी। दोनों कई बार मदरवां स्थित मकान पर भी गए, लेकिन ऊषा की दोनों बेटियों ने हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर दरवाजा खोलने से इन्कार कर दिया। दबाव बनाने पर पुलिस बुलाने की धमकी देती रहीं। उपासना और धर्मेंद्र कुछ घंटे बाद लौट जाते थे। पिछले एक वर्ष से यही चल रहा था। दो महीने पहले पिता रामकृष्ण भी आए तो पल्लवी और वैष्णवी ने दरवाजा नहीं खोला।
दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई पुलिस
पिता के कहने पर ही बुधवार की दोपहर मिर्जापुर के जमालपुर थाना क्षेत्र के गौरी बहुवर निवासी छोटी बेटी उपासना और दामाद धर्मेंद्र चतुर्वेदी मदरवां पहुंचे। बेटियों ने फिर दरवाजा खोलने से इन्कार कर दिया। तब धर्मेंद्र ने डायल 112 पर सूचना दी। डायल-112 और चौकी इंचार्ज मौके पर पहुंचे, लेकिन वह भी दरवाजा नहीं खुलवा सके। इसके बाद लंका इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्रा फोर्स के साथ पहुंचे और वीडियोग्राफी कराते हुए दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हो गए। अंदर देखा तो ऊषा का कंकाल मिला। उसकी दोनों बेटियों से पूछताछ हुई तो पूरा मामला खुलकर सामने आ गया।
दुर्गन्ध से बचने के लिए छत पर खाती थीं खाना
शव जब खराब होने लगा तो उससे दुर्गन्ध आने लगी पर दुर्गन्ध बाहर न जाए इसके लिए पूरा इंतजाम किया गया था। वहीं दोनों बहनें खाना छत पर खाती थीं ताकि दुर्गन्ध से बचा जा सके। पल्लवी ने बताया कि मां की मौत के बाद 4 महीने तक आराम से जीवन चला पर जब राशन खत्म हुआ तो हमने मां आभीषन 20 हजार में बेच दिए। इसके बाद राशन मंगाया। पड़ोसियों ने पूछा तो हमेशा यही कहा मां सो रहीं हैं या बाहर गईं हैं।