
Heat Wave देश के कुछ हिस्सों में इस साल मार्च के महीने से ही गर्मी कहर बरपाने लगी है. बढ़ती गर्मी के कारण हीट वेव या लू की घटना बढ़ती है. ऐसे आइए आज जानते हैं कि हीट वेव आखिर कहते किसे हैं.
पिछले कुछ सालों से हीट वेव की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं. हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की स्थिति होती है, जो आमतौर पर दो या दो से ज्यादा दिनों तक रहती है. जब किसी क्षेत्र का तापमान ऐतिहासिक औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव या लू कहा जाता है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू या हीट wave चलने लगती है
अगर तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो इसे खतरनाक लू की श्रेणी में रखा जाता है. भारत में हीट वेव मुख्य रूप से मार्च से जून के बीच चलती है. कुछ दुर्लभ मामलों में यह जुलाई में भी चल सकती है. भारत में सबसे अधिक हीट वेव ज्यादातर मई के महीने में चलती है.

हीट वेव आमतौर पर रुकी हुई हवा की वजह से बनती है. उच्च दबाव प्रणाली हवा को नीचे की ओर ले जाती है. यह जमीन के पास हवा को बढ़ने से रोकती है.
नीचे बहती हुई हवा एक टोपी की तरह काम करती है और गर्म हवा को एक जगह पर जमा कर लेती है. गर्म हवा को और गर्म होने से रोकने के लिए कोई उपाय नहीं होता है.
