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Varanasi: गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की विधि-विधान से पूजा आराधना की जाती है। मां गंगा को बेहद पवित्र और मोक्षदायिनी माना जाता है। कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। 

अवतरण दिवस गंगा सप्तमी पर गुरुवार को वाराणसी के दशाश्वमेध समेत अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसलाब उमड़ा। श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर दुग्धाभिषेक किया। घाटों पर कई जगह सूर्य को अर्घ्यदान भी अर्पित किया गया। हर-हर गंगे के साथ आस्थावानों की भीड़ को लेकर जल पुलिस सभी घाटों पर चक्रमण करती रही। दुग्धाभिषेक करने वालों में राजनेता, अफसर के साथ ही गंगा श्रद्धालु शामिल रहें। इन लोगों ने मां गंगा के अविरल निर्मल प्रवाह की कामना की

आरती कर नमामि गंगे ने किया गंगा के संरक्षण का आह्वान 
नमामि गंगे और 137 सीईटीएफ प्रादेशिक सेना गंगा टास्क फोर्स ने सूर्योदय की प्रभात बेला में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर स्थित गंगा द्वार पर सैकड़ों नागरिकों के साथ मां गंगा की आरती उतारी। दुग्धाभिषेक कर आरोग्य राष्ट्र की गुहार लगाई।

संकल्प लेकर गंगा में गंदगी न करने की अपील की गई। भारत की आस्था और आजीविका गंगा के संरक्षण का आवाह्न किया गया। गंगा प्राकट्य दिवस पर गंगा किनारे से कचड़े को निकाल कर कूड़ेदान तक पहुंचाया गया। 

गंगा सप्तमी का पौराणिक महत्व

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

गंगा सप्तमी के अवसर पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है

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